Sunday 28 August 2011

बिलासपुर. जन्माष्टमी महोत्सव 22 अगस्त 2011

   यादव समाज द्वारा आयोजित रैली में यादव समाज के युवा साथी
 

बिलासपुर. जन्माष्टमी महोत्सव 22 अगस्त 2011

 यादव समाज द्वारा आयोजित रैली में कृष्ण-बलराम की वेशभूषा में बालक.

प्रेस कर्मचारी संघ को मुख्यमंत्री का आश्वासन

बिलासपुर.  प्रेस कर्मचारी संघ बिलासपुर द्वारा मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से विगत दिनों मुलाकात कर प्रेस कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति द्वारा मांग की गई भूमि पर आबंटन के संबंध में आ रही दिक्कतों से मुख्यमंत्री को अवगत कराकर समिति को भू-आबंटन करने का आग्रह किया गया इस पर मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग से चर्चा कर तत्काल निराकरण करने का आश्वासन दिया. प्रतिनिधि मंडल में मनहरण साहू अध्यक्ष, तेरस यादव महासचिव, रामजी सिंह यादव संरक्षक, सुरेंद्र सिंह ठाकुर अध्यक्ष प्रेस
कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति, कमल दुबे कोषाध्यक्ष, मनोज पांडेय
शत्रुहन चंद्राकर सहित प्रेस कर्मचारी संघ के सदस्य थे.

Tuesday 2 August 2011

गद्दी से हटने के बाद ही प्रधानमंत्री की लोकपाल जांचकर सकेगा

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने  लोकपाल विधेयक के उसी मसौदे को स्वीकृति दे दी जिसे पहले ही अन्ना हजारे की टीम ने ठुकरा दिया था. डा. मनमोहन सिंह की इच्छा को ठुकराते हुए मंत्रियों ने इसके दायरे में खुद को तो रख दिया, लेकिन प्रधानमंत्री को बाहर रखा और कहा कि गद्दी से हटने के बाद ही उन पर लोकपाल जांच कर सकेगा. इसके दायरे से न्यायपालिका, उपसचिव से नीचे के कर्मचारी और संसद के भीतर सांसदों का आचरण आदि भी बाहर रखे गए हैं. केंद्र सरकार के ए वर्ग के सभी अफसर, सांसद व मंत्री इसके दायरे में रहेंगे तो सरकार से अनुदान लेने वाले एनजीआे, सोसायटी व ट्रस्ट आदि पर भी लोकपाल का डंडा चलेगा. इनमें से किसी के खिलाफ भी जांच करने और उसके बाद मुकदमा करने के लिए लोकपाल को किसी से भी अनुमति लेने की जरूरत नहीं
रहेगी. यह विधेयक 1 या 2 को संसद में पेश कर दिया जाएगा.
मंत्रिमंडल की मीडिया ब्रीफिंग सवा 12 बजे होनी थी, लेकिन शुरू हुई डेढ़ बजे क्योंकि बैठक लंबी खिंच गई. सूचना-प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने यह जानकारियां देते हुए बताया कि लोकपाल पर मंत्रिमंडल में डेढ़ घंटे तक बहस हुई. प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने इसमें भी शुरू में अपनी निजी राय रखी कि पीएमआे को भी लोकपाल के दायरे में रखा जाए. लेकिन ज्यादातर मंत्रियों ने देश के संचालन के लिए उसे बाहर रखने की मांग की और कहा कि गद्दी से हटने के बाद किसी भी प्रधानमंत्री के खिलाफ लोकपाल जांच कर सकेगा. 7 वर्षों में यह पहला अवसर होगा जब मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री की ही राय की धज्जियां उड़ाई गई होंगी.
अंबिका ने कहा कि कांग्रेस का 2004 में यह चुनावी वादा था तो न्यूनतम साझा कार्यक्रम में भी यह शामिल था. सूचना का अधिकार के बाद प्रशासन में पारदर्शिता के लिए संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी इसके लिए जोर रहा है. केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि अपराध होने के बाद 7 वर्षों के भीतर ही जांच शुरू कर सकने का नियम  रखा गया है. क्या राजग सरकार को इस दायरे से बाहर रखने के लिए ही 7 वर्ष का पैमाना रखा गया? इस पर सीधा बोलने की बजाए उन्होंने कहा कि यह सरकार गड़े मुर्दे उखाड़ते हुए दिखना नहीं चाहती और न ही यह चाहती है कि कभी लोकपाल का राजनीतिक दुरूपयोग हो पाए. हजारे टीम की कई मांगें
इसके तहत नहीं स्वीकारी जा सकी हैं. इसके लिए सरकार जल्द ही लोक शिकायत निवारण, न्यायिक जिम्मेदारी, सीवीसी व भ्रष्टाचार खोलने वाले को सुरक्षा प्रदान करने संबंधी विधेयकों को भी शीघ्र ही संसद मे पेश करेगी. राज्यों को भी लोकायुक्त अनिवार्य रूप से नियुक्त करने की सलाह दी गई है. उन्होंने कहा कि सीबीआई में एंटी-करप्शन शाखा को जिंदा रखना होगा ताकि सत्यम जैसे गैर-सरकारी घोटालों की भी जांच हो सके.
लोकपाल की मुख्य बातें
० लोकपाल का कार्यकाल 5 वर्ष का होगा
० किसी शिकायत पर लोकपाल को हटाने के लिए राष्ट्रपति के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट जांच करके जो रिपोर्ट देगा, उसके अनुरूप राष्ट्रपति निर्णय करेंगे.
० लोकपाल में अध्यक्ष के अलावा 8 सदस्य होंगे. अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान या रिटायर्ड चीफ जस्टिस को बनाया जाएगा तो 8 में से 4 सदस्य सुप्रीम कोर्ट
के वर्तमान या रिटायर्ड जस्टिस या हाईकोर्टों के चीफ जस्टिसों में से बनाए जाएंगे. शेष 4 वैसे साफ-सुथरे लोगों में से होंगे जिन्हें भ्रष्टाचार से निपटने का 25
साल का अनुभव होगा व जो बैंक, बीमा आदि वित्तीय जगत से भी हो सकते हैं.
० लोकपाल की अपनी जांच व छानबीन शाखा होगी. शुरू में सीबीआई या राज्य सरकार की सेवा से प्रतिनियुक्ति पर उन्हें लिया जा सकेगा, लेकिन बाद में लोकपाल अपने सारे अधिकारी खुद भर्ती करेगा.
० लोकपाल की अपनी अभियोजन शाखा भी होगी जो कि मुकदमा लड़ेगी.
० इसका खर्च सरकार से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय कोष से दिया जाएगा.
० धार्मिक संगठन व ट्रस्ट लोकपाल के दायरे से बाहर रहेंगे.
० लोकपाल के दायरे में आने वाले ट्रस्टों, सोसायटियों व एनजीआे की न्यूनतम वार्षिक आमदनी का मापदंड सरकार बाद में घोषित करेगी.
० भ्रष्टाचार विरोधी कानून 1988 की धारा 19 या अपराध कानून 1973 की धारा 197 के तहत लोकपाल को किसी लोक सेवक के खिलाफ जांच करने और  फिर मुकदमा प्रारंभ करने के लिए भी किसी की अनुमति नहीं लेनी होगी.
० लोकपाल सजा नहीं दे सकता, लेकिन शिकायत मिलने पर उसकी प्रारंभिक छानबीन करके उसमें सच्चाई दिखने पर प्रकरण दर्ज करके जांच करे और फिर अदालत में चार्जशीट दायर करेगा.
० अपराध होने के 7 साल के भीतर ही मामला दर्ज कराया जा सकेगा, उसके बाद नहीं.
० जांच आदि पूर्ण करने की सीमा निर्धारित की जाएगी और विशेष अदालत में समयबद्ध सुनवाई पूर्ण करने का भी प्रावधान रखा गया है.
० जो लोकपाल रह लेगा, वह कभी चुनाव नहीं लड़ पाएगा तो किसी पार्टी से भी संबंध नहीं रख पाएगा.
० लोकपाल की टीम छांटने के लिए 9 सदस्यों की चयन समिति के मुखिया प्रधानमंत्री होंगे तो उसमें लोकसभा स्पीकर, लोकसभा में नेता विपक्ष, राज्यसभा में  नेता विपक्ष, एक केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट का एक जज, हाई कोर्टों में से एक का चीफ जस्टिस, एक प्रसिद्ध वकील व एक अन्य प्रसिद्ध नागरिक भी रहेगा.