Tuesday 7 August 2012

बिलासपुर कलेक्टर से प्रेस क्रमचारियो की मांग को लेकर चर्चा करते संघ के महासचिव तेरस यादव और  और सदस्य

Sunday 5 August 2012

05-08-2012


प्रेस कर्मचारी संघ की बैठक मेंउपस्थित पदाधिकार और सदस्य 



Sunday 29 July 2012

देवगिरी का यादव वंश

यादव वंश भारतीय इतिहास में बहुत प्राचीन है और यह अपना सम्बन्ध प्राचीन यदुवंशी क्षत्रियों से मानता है। राष्टकूटों और चालुक्यों के उत्कर्ष काल में यादव वंश के राजा अधीनस्थ सामन्त राजाओं की स्थिति रखते थे, लेकिन जब चालुक्यों की शक्ति क्षीण हुई तो वे स्वतंत्र हो गए और वर्त्तमान हैदराबाद के क्षेत्र में स्थित देवगिरि (आधुनिक दौलताबाद) को केन्द्र बनाकर उन्होंने अपने उत्कर्ष का प्रारम्भ किया।

भिल्ल्म तथा बल्लाल का संघर्ष

1187 ई. में यादव राजा 'भिल्लम' ने अन्तिम चालुक्य राजा सोमेश्वर चतुर्थ को परास्त कर कल्याणी पर भी अधिकार कर लिया। इसमें सन्देह नहीं कि भिल्लम एक अत्यन्त प्रतापी राजा था और उसी के कर्त्तृत्व के कारण यादवों के उत्कर्ष का प्रारम्भ हुआ था। पर शीघ्र ही भिल्लम को एक नए शत्रु का सामना करना पड़ा। द्वारसमुद्र (मैसूर) में यादव क्षत्रियों के एक अन्य वंश का शासन था, जो होयसाल कहलाते थे। चालुक्यों की शक्ति क्षीण होने पर दक्षिणापथ में जो स्थिति उत्पन्न हो गई थी, होयसालों ने भी उससे लाभ उठाया और उनके राजा वीर बल्लाल द्वितीय ने उत्तर की ओर अपनी शक्ति का विस्तार करते हुए भिल्लम के राज्य पर भी आक्रमण किया। इस प्रकार बल्लाल और भिल्लम के मध्य एक ज़ोरदार संघर्ष हुआ। वीर बल्लाल के साथ युद्ध करते हुए भिल्लम ने वीरगति प्राप्त की और उसके राज्य पर, जिसमें कल्याणी का प्रदेश भी शामिल था, होयसालों का अधिकार हो गया। इस प्रकार 1191 ई. में भिल्लम द्वारा स्थापित यादव राज्य का अन्त हुआ।

जैत्रपाल की वीरता

भिल्लम की इस पराजय से यादव वंश की शक्ति का मूलोच्छेद नहीं हो सका। भिल्लम का उत्तराधिकारी 'जैत्रपाल प्रथम' था, जिसने अनेक युद्धों के द्वारा अपने वंश के गौरव का पुनरुद्धार किया। होयसालों ने कल्याणी और देवगिरि पर स्थायी रूप से शासन का प्रयत्न नहीं किया था, इसलिए जैत्रपाल को फिर से अपने राज्य के उत्कर्ष का अवसर मिल गया। उसका शासन काल 1191 से 1210 तक था। अपने पड़ोसी राज्यों से निरन्तर युद्ध करते हुए जैत्रपाल प्रथम ने यादव राज्य की शक्ति को भली-भाँति स्थापित कर लिया।

सिंघण द्वारा राज्य विस्तार

जैत्रपाल प्रथम का पुत्र 'सिंघण' (1210-1247 ई.) था। वह इस वंश का सबसे शक्तिशाली प्रतापी राजा हुआ। 37 वर्ष के अपने शासन काल में उसने चारों दिशाओं में बहुत से युद्ध किए और देवगिरि के यादव राज्य को उन्नति की चरम सीमा पर पहुँचा दिया। होयसल राजा वीर बल्लाल ने उसके पितामह भिल्लम को युद्ध में मारा था और यादव राज्य को बुरी तरह से आक्रान्त किया था। अपने कुल के इस अपमान का प्रतिशोध करने के लिए सिंघण ने द्वारसमुद्र के होयसाल राज्य पर आक्रमण किया और वहाँ के राजा वीर बल्लाल द्वितीय को परास्त कर उसके अनेक प्रदेशों पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। होयसल राजा कि विजय के बाद सिंघण ने उत्तर दिशा में विजय यात्रा के लिए प्रस्थान किया। गुजरात पर उसने कई बार आक्रमण किए और मालवा को अपने अधिकार में लाकर काशी और मथुरा तक विजय यात्रा की। इतना ही नहीं, उसने कलचुरी राज्य को परास्त कर अफ़ग़ान शासकों के साथ भी युद्ध किए, जो उस समय उत्तर भारत के बड़े भाग को अपने स्वामीत्व में ला चुके थे।
कोल्हापुर के शिलाहार, बनवासी के कदम्ब और पांड्य देश के राजाओं को भी सिंघण ने आक्रान्त किया और अपनी इन दिग्विजयों के उपलक्ष्य में कावेरी नदी के तट पर एक विजय स्तम्भ की स्थापना की। इसमें सन्देह नहीं कि यादव राज सिंघण एक विशाल साम्राज्य का निर्माण करने में सफल हुआ था और न केवल सम्पूर्ण दक्षिणापथ अपितु कावेरी तक का दक्षिणी भारत और विंध्याचल के उत्तर के भी कतिपय प्रदेश उसकी अधीनता में आ गए थे। सिंघण न केवल अनुपम विजेता था, अपितु साथ ही विद्वानों का आश्रयदाता और विद्याप्रेमी भी था। 'संगीतरत्नाकर' का रचयिता सारंगधर उसी के आश्रय में रहता था। प्रसिद्ध ज्योतिषी चांगदेव भी उसकी राजसभा का एक उज्ज्वल रत्न था। भास्कराचार्य द्वारा रचित 'सिद्धांतशिरोमणि' तथा ज्योतिष सम्बन्धी अन्य ग्रंथों के अध्ययन के लिए उसने एक शिक्षाकेन्द्र की स्थापना भी की थी।

सिंघण के उत्तराधिकारी

सिंघण के बाद उसके पोते 'कृष्ण' (1247-1260) ने और फिर कृष्ण के भाई 'महादेव' (1260-1271) ने देवगिरि के राजसिंहासन को सुशोभित किया। इन राजाओं के समय में भी गुजरात और शिलाहार राज्य के साथ यादवों के युद्ध जारी रहे। महादेव के बाद 'रामचन्द्र' (1271-1309) यादवों का राजा बना। उसके समय में 1294 ई. में दिल्ली के प्रसिद्ध अफ़ग़ान विजेता अलाउद्दीन ख़िलजी ने दक्षिणी भारत में विजय यात्रा की। इस समय देवगिरि का यादव राज्य दक्षिणापथ की प्रधान शक्ति था। अतः स्वाभाविक रूप से अलाउद्दीन ख़िलज़ी का मुख्य संघर्ष यादव राजा रामचन्द्र के साथ ही हुआ। अलाउद्दीन जानता था कि सम्मुख युद्ध में रामचन्द्र को परास्त कर सकना सुगम नहीं है। अतः उसने छल का प्रयोग किया और यादव राज के प्रति मैत्रीभाव प्रदर्शित कर उसका आतिथ्य ग्रहण किया। इस प्रकार जब रामचन्द्र असावधान हो गया तो अलाउद्दीन ने उस पर अचानक हमला कर दिया। इस स्थिति में यादवों के लिए अपनी स्वतंत्रता को क़ायम रखना असम्भव हो गया और रामचन्द्र ने विवश होकर अलाउद्दीन ख़िलज़ी के साथ सन्धि कर ली।

अलाउद्दीन द्वारा रामचन्द्र का स्वागत

इस सन्धि के परिणामस्वरूप जो अपार सम्पत्ति अफ़ग़ान विजेता ने प्राप्त की, उसमें 600 मन मोती, 200 मन रत्न, 1000 मन चाँदी, 4000 रेशमी वस्त्र और उसी प्रकार के अन्य बहुमूल्य उपहार सम्मिलित थे। इसके अतिरिक्त रामचन्द्र ने अलाउद्दीन ख़िलज़ी को वार्षिक कर भी देना स्वीकृत किया। यद्यपि रामचन्द्र परास्त हो गया था, फिर भी उसमें अभी स्वतंत्रता की भावना अवशिष्ट थी। उसने ख़िलज़ी के आधिपत्य का जुआ उतार फैंकने के विचार से वार्षिक कर देना बन्द कर दिया। इस पर अलाउद्दीन ने अपने सेनापति मलिक काफ़ूर को उस पर आक्रमण करने के लिए भेजा। काफ़ूर का सामना करने में रामचन्द्र असमर्थ रहा और उसे गिरफ़्तार करके दिल्ली भेज दिया गया। वहाँ पर ख़िलज़ी सुल्तान ने उसका स्वागत किया और उसे 'रायरायाओ' की उपाधि से विभूषित किया। अलाउद्दीन रामचन्द्र की शक्ति से भली-भाँति परिचित था और इसीलिए उसे अपना अधीनस्थ राजा बनाकर ही संतुष्ट हो गया। पर यादवों में अपनी स्वतंत्रता की भावना अभी तक भी विद्यमान थी।

अंत

रामचन्द्र के बाद उसके पुत्र 'शंकर' ने अलाउद्दीन ख़िलज़ी के विरुद्ध विद्रोह किया। एक बार फिर मलिक काफ़ूर देवगिरि पर आक्रमण करने के लिए गया और उससे लड़ते-लड़ते शंकर ने 1312 ई. में वीरगति प्राप्त की। 1316 में जब अलाउद्दीन की मृत्यु हुई तो रामचन्द्र के जामाता 'हरपाल' के नेतृत्व में यादवों ने एक बार फिर स्वतंत्र होने का प्रयत्न किया, पर उन्हें सफलता नहीं मिली। हरपाल को गिरफ़्तार कर लिया गया और अपना रोष प्रकट करने के लिए सुल्तान मुबारक ख़ाँ ने उसकी जीते-जी उसकी ख़ाल खिंचवा दी। इस प्रकार देवगिरि के यादव वंश की सत्ता का अन्त हुआ और उनका प्रदेश दिल्ली के अफ़ग़ान साम्राज्य के अंतर्गत आ गया।

Tuesday 24 July 2012

प्रेस कर्मचारी संघ के सदस्य और पदाधिकारियों ने 24 जुलाई 2012 को छग श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री अरुण चौबे से मुलाकात कर प्रेस कर्मचारियो की समस्याओ से अवगत  कराया. प्रतिनिधि  मंडल में श्री मनहरण श्री तेरस  यादव, श्री  गणेश तिवारी श्री रामजी सिंह यादव श्री पदुम तिवारी श्री सुरेन्द्र ठाकुर श्री आशुतोष  श्री लेखराज विश्वकरमा श्री चंद्रशेखर तिवारी सहित संघ के सदस्य उपस्थित थे।


Friday 18 May 2012

यदुकुल के दसवें मुख्यमंत्री -अखिलेश यादव

      
       यादव इतिहास बड़ा गौरवशाली है. इस कुल में समय-समय पर, जीवन के हर क्षेत्र में,  ऐसी अनेक विभूतियों ने जन्म लिया जिन्होंने अपने सामर्थ्य,  योग्यता एवं कुशलता  के बल से न केवल विश्व के इतिहास पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी, बल्कि यदुकुल का भी नाम रोशन किया. राजनैतिक  क्षेत्र में भी ऐसे ही  अनेक  यदुवंशियों  ने समाज व देश  की सेवा करते  हुए उच्च पदों पर आसीन हुए. विभिन्न गौरवशाली पदों पर काम कर चुके  ऐसे अनेकों  महानुभाव  हैं  उन सबका  नाम लिखना यहाँ असंगत होगा.

 स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद  विभिन्न प्रदेशों में अब तक तीन  यदुवंशियों  को  राज्यपाल , दस को  मुख्यमंत्री  और एक को  लोकसभा स्पीकर  के रूप में पदासीन  होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है.  उनका विवरण नीचे दिया गया है:-

 मुख्यमंत्री-दिल्ली में :
1 . चौधरी ब्रह्मप्रकाश, दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री (1952 से 1955 तक) 

मुख्यमंत्री-उत्तर प्रदेश में :
1 .राम नरेश यादव -----------(23 .6 .1977   से 27 .2 . 1979   तक ) 
2 .  मुलायम सिंह यादव -----(2 .12 .1989 से 24 .6 .1991 तक )
      मुलायम सिंह यादव----(4 .12 .1993 से 2 .6 .1995 तक   ) 
      मुलायम सिंह यादव-----(29 .8 .2003 से 12 .5 .2007 तक )
3    अखिलेश यादव...........(15.3.2012 

मुख्यमंत्री-बिहार में :
1 . वी.पी. मंडल ----------------1968
2 . दरोगाप्रसाद राय ----------(16 .2 .1970 से 22 .12 .1970 तक )
3 . लालू प्रसाद यादव--------(11 .3 .1990 से 24 .7 .1997 तक )
4. राबडी देवी -----------------(24 .7 . 1997 से 3 .3 .2000 तक ) 
    राबडी देवी----------------(11 .3 .2000  से 7 .3 .2005 तक  )

मुख्यमंत्री-मध्य प्रदेश में :
1 . बाबूलाल गौर --------2007

मुख्यमंत्री-हरियाणा में :
1 . राव वीरेन्द्र  सिंह 1967  


राज्यपाल -राजस्थान में
1.बलिराम भगत
 
राज्यपाल-गुजरात में
1.महीपाल शास्त्री 
 
राज्यपाल-मध्य प्रदेश में
1. राम नरेश यादव  

 लोकसभा स्पीकर:
1. बलिराम भगत 

 वर्तमान समय में मुलायम  सिंह यादव और उनके सुपुत्र अखिलेश यादव  ऐसे दो  महान व्यक्ति  हैं जिनका जिक्र आते ही यदुवंशियों का सीना  गर्व से फूल जता है. मुलायम सिंह यादव एक जाने माने सफल समाजवादी नेता है. उन्हें लोग प्यार से "नेताजी'"  कहते हैं. वे तीन बार उत्तर-प्रदेश के  मुख्यमंत्री तथा एक बार केंद्र में रक्षामंत्री रह चुके हैं. अपने पिताश्री के  पद-चिन्हों पर चलते हुए  अखिलेश यादव ने हाल ही  में हुए  उत्तर प्रदेश की विधान-सभा चुनाव में, युवा वर्ग के सहयोग से , अभूतपूर्व कारनामा कर दिखाया. विधान -सभा की 403  में 224 सीटें जीत कर उन्होंने सबको आश्चर्यचकित कर दिया.  15 मार्च, 2012  वे यदुकुल के दसवें मुख्यमंत्री बने. वे उत्तर प्रदेश के सबसे कम आयु वाले मुख्यमंत्री है. 

अखिलेश यादव बेदाग छबि, मृदुभाषी तथा प्रगतिशील विचारों वाले युवा नेता है. उनका जन्म 1 जुलाई, 1973 को उत्तर प्रदेश में  इटावा जिले के सैफई गाँव  में हुआ.  इनके पिता  का नाम मुलायम सिंह यादव  और माता का नाम मालती देवी है. इनका विवाह  1999  में डिम्पल यादव से हुआ. इनके  अदिति,   टीना और अर्जुन नाम वाले  तीन बच्चे  हैं.  इनके पिता एक जाने-माने  समाजवादी नेता हैं. भारतीय राजनीति  में उनका विशिष्ट स्थान है.   अखिलेश यादव की  प्रारंभिक शिक्षा  इटावा में तथा उच्च स्कूली शिक्षा मिलिटरी स्कूल धौलपुर राजस्थान से हुई.   इंजीनियरी में  स्नातक स्तर की पढाई मैसूर यूनिवर्सिटी  से  और आर्ट्स में  मास्टर डिग्री सिडनी यूनिवर्सिटी से उत्तीर्ण  किया.

अखिलेश यादव ने  वर्ष 2000 में   कन्नौज संसदीय क्षेत्र से मध्यावधि चुनाव जीत कर पहली बार लोकसभा में प्रवेश किया. तब से अब तक वे तीन बार लोक सभा के सदस्य चुने जा चुके हैं. वर्ष 2009 में अखिलेश जी ने कन्नौज और फिरोजाबाद दो संसदीय क्षेत्रो से जीत हासिल किया  परन्तु बाद मेंफिरोजाबाद  सीट से त्यागपत्र दे दिया और  कन्नौज लोकसभा सीट को कायम रखा.

अखिलेश जी  उत्साहित ,तेजस्वी और सही सोच-वाले युवा नेता हैं. उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन को दूर करके  विकास के उच्च शिखर पर ले जाने की उनकी  तीव्र  इच्छा भी  हैं. धार्मिक एवं जातिगत भावनाओं  से दूर रहकर वे सभी युवक-युवातियों को उन्नति के शिखर पर ले जाना चाहते है. उन्हें भली-भाँति मालुम है  कि  यह शुभ कार्य समाज के हर वर्ग को समान दृष्टि से देखते हुए तथा  न्याय के मार्ग पर  चलकर ही संभव है. मुख्यमंत्री   प्रदेश के  सभी नागरिकों का नेता होता है न कि किसी वर्ग विशेष का.  अतः उनके इस महान कार्य  को  सफल  बनने के लिए समाज के हर वर्ग से सहयोग की आवश्यकता है.

Tuesday 15 May 2012

Sunday 13 May 2012

26.02.2012

बिलासपुर. प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित प्रतिभावान सम्मान समारोह को संबोधित करते मंत्री अमर अग्रवाल.




26.02.2012

बिलासपुर. प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित प्रतिभावान सम्मान समारोह रवि वैष्णव  का सम्मान करते अतिथि.

26.02.2012


26.02.2012

बिलासपुर. प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित प्रतिभावान सम्मान समारोह श्रीमती गीता बाई  का सम्मान करते अतिथि.




26.02.2012

बिलासपुर. प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित प्रतिभावान सम्मान समारोह श्रीमती सुधा दिवसे का सम्मान करते अतिथि.


26.02.2012

बिलासपुर. प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित प्रतिभावान सम्मान समारोह डॉ. राजू तिवारी का सम्मान करते अतिथि.

26.02.2012

बिलासपुर. प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित प्रतिभावान सम्मान समारोह डॉ. राजू तिवारी का सम्मान करते अतिथि.

26.02.2012

बिलासपुर. प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित प्रतिभावान सम्मान समारोह में संबोधित करते पी.आर. यादव और तेरस याद

26.02.2012

बिलासपुर. प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित प्रतिभावान सम्मान समारोह में उपस्थित अतिथि और सदस्य


सम्मान समारोह 26.02.2012

   

Friday 11 May 2012

26.02.2012

प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम  में उपस्थित अतिथि.

26.02.2012

प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम  में उपस्थित अतिथि.

26.02.2012

प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम  में उपस्थित अतिथि.

Monday 7 May 2012

26.02.2012

प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम  में उपस्थित अतिथि.



26.02.2012

प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम  में उपस्थित अतिथि.

26.02.2012

प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम  में उपस्थित अतिथि.

26.02.2012

प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम  में उपस्थित अतिथि.

26.02.2012

प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम  में उपस्थित अतिथि.