Sunday 29 January 2012

अभय कुमार नेपाल में 

Saturday 28 January 2012

राजनांदगांव की फूलबासन यादव को पद्मश्री

राजनांदगांव जिले के ग्राम छुरिया में 1971 में फूलबासन यादव का जन्म पिता श्री झडीराम यादव एवं माता श्रीमती सुमित्रा बाई के घर हुआ। घर की पारिवारिक स्थिति आर्थिक रूप से कमजोर थी। बड़ी मुश्किल से उन्होंने कक्षा 7वीं तक शिक्षा हासिल की। मात्र 12 वर्ष की उम्र में उनका विवाह ग्राम सुकुलदैहान के चंदूलाल यादव से हुआ। भूमिहीन चंदूलाल यादव का मुख्य पेशा चरवहा का है। गांव के लोगों के पशुओं की चरवाही और बकरीपालन उनके परिवार की जीविका का आज भी आधार है। वर्ष 2001 में तत्कालिन कलेक्टर श्री दिनेश श्रीवास्तव की पहल पर राजनांदगांव जिले में महिलाओं को एकजुट करने एवं उन्हें जागरूक बनाने के उद्देश्य से गांव-गांव में मां बम्लेश्वरी स्व.-सहायता समूह का गठन प्रशासन द्वारा शुरू किया गया। 2001 में इस अभियान से प्रेरित एवं कलेक्टर श्री श्रीवास्तव के प्रोत्साहन पर श्रीमती फूलबासन यादव ने अपने गांव सुकुलदैहान में 10 गरीब महिलाओं को जोड़कर प्रज्ञा मां बम्लेश्वरी स्व-सहायता समूह का गठन किया। महिलाओं को आगे बढ़ाने एवं उनकी भलाई के लिए निरंतर जद्दोजहद करने वाली फूलबासन यादव ने इस अभियान में सच्चे मन से बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। अभियान के दौरान उन्हें गांव-गांव में जाकर महिलाओं को जागरूक और संगठित करने का मौका मिला। अपनी नेक नियति और हिम्मत की बदौलत श्रीमती यादव ने इस कार्य में जबर्दस्त भूमिका अदा की। देखते ही देखते राजनांदगांव जिले में मात्र एक साल की अवधि में 10 हजार महिला स्व-सहायता समूह गठित हुए और इससे डेढ़ लाख महिलाएं जुड़ गई। महिलाओं ने एक दूसरे की मदद का संकल्प लेने के साथ ही थोड़ी-थोड़ी बचत शुरू की । देखते ही देखते बचत की स्व-सहायता समूह की बचत राशि करोड़ों में पहुंच गई। इस बचत राशि से आपसी में लेने करने की वजह से सूदखोरों के चंगुल से छुटकारा मिला। बचत राशि से स्व-सहायता समूह ने सामाजिक सरोकार के भी कई अनुकरणीय कार्य शुरू कर दिए, जिसमें अनाथ बच्चों की शिक्षा-दीक्षा, बेसहारा बच्चियों की शादी, गरीब परिवार के बच्चों का इलाज आदि शामिल है। श्रीमती यादव ने सूदखोरों के चंगुल में फंसी कई गरीब परिवारों की भूमि को भी समूह की मदद से वापस कराने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की।

Monday 16 January 2012

प्रेस कर्मचारी संघ की बैठक

प्रेस कर्मचारी संघ की बैठक १४ जनवरी को कंपनी गार्डेन में हुई. इस अवसर पर प्रेस कर्मचारी संघ द्वारा प्रतिभावान सम्मान समारोह और परिवार मिलन समारोह का आयोजन करने का निर्णय लिया गया. इस दिन कर्मचारी संघ के सदस्य के जो बच्चे ६० प्रतिशत से अधिक अंक लेकर परीक्षा पास हुए तथा जो कर्मचारी पांच बार से अधिक रक्त दान किये है उनका सम्मान किया जायेगा.

Friday 13 January 2012

अंतरिक्ष में प्लांट, सूरज से लेंगे बिजली

अगर सूरज दिन की तरह रात को भी रोशनी फैलाता तो कितना बेहतर होता. कम से कम पावर कट की प्रॉब्लम से तो निजात मिल जाती. यह कल्पना अब शायद हकीकत में बदल सके. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कुछ एेसा ही अनूठा सुझाव पेश किया है. उन्होंने धरती पर बिजली की कमी पूरी करने के लिए अंतरिक्ष (स्पेस बेस्ड) पावर प्लांट के जरिए नैनो एनर्जी पैक का प्रपोजल तैयार किया है.
पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने अंतरिक्ष के सम्भावित सौर ऊर्जा संयंत्र से धरती पर ऊर्जा लाने के लिए नैनो एनर्जी पैक पर शोध करने का सुझाव
दिया. कलाम अन्ना विश्वविद्यालय के 20वें राष्ट्रीय लेजर परिसंवाद में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, सूरज से धरती पर मनुष्यों की जरूरत से 100 अरब गुणा अधिक ऊर्जा उत्सर्जित होती है. यदि हम इसका एक हिस्सा भी हासिल कर सकें तो मानव की भविष्य की ऊर्जा जरूरत पूरी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि धरती पर स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र के मुकाबले अंतरिक्ष में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र कई मामलों में बेहतर होगा. कलाम ने कहा कि धरती पर सौर पैनल सिफे छह से आठ घंटे ही सूरज के प्रकाश में रह सकते हैं, जबकि अंतरिक्ष में सौर पैनल हमेशा सौर ऊर्जा हासिल कर सकते हैं. ये ऊर्जा सूक्ष्म तरंग या लेजर तकनीक से धरती पर भेजे जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष के इन सौर ऊर्जा केंद्रों से नैनो बैटरियों जैसे सूक्ष्म ऊर्जा पैकेटों के माध्यम से धरती पर ऊर्जा भेजी जा सकती है और ये सूक्ष्म पैकेट एेसे हो सकते हैं, कि एक-एकसूक्ष्म पैकेट से भारी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त हो.
धरती पर कैसे आएगी - सबसे बड़ा सवाल यह है कि अंतरिक्ष में सोलर प्लांट से बनी बिजली को हम धरती तक कैसे पहुंचाएंगे. इस सवाल का जवाब भी पूर्व राष्ट्रपति ने दिया. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में बने सोलर पावर प्लांट से धरती पर बिजली माइक्रोवेव या लेजर टेक्नॉलजी जैसी किसी तकनीक के जरिए
भेजी जा सकेगी.