Friday 13 January 2012

अंतरिक्ष में प्लांट, सूरज से लेंगे बिजली

अगर सूरज दिन की तरह रात को भी रोशनी फैलाता तो कितना बेहतर होता. कम से कम पावर कट की प्रॉब्लम से तो निजात मिल जाती. यह कल्पना अब शायद हकीकत में बदल सके. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कुछ एेसा ही अनूठा सुझाव पेश किया है. उन्होंने धरती पर बिजली की कमी पूरी करने के लिए अंतरिक्ष (स्पेस बेस्ड) पावर प्लांट के जरिए नैनो एनर्जी पैक का प्रपोजल तैयार किया है.
पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने अंतरिक्ष के सम्भावित सौर ऊर्जा संयंत्र से धरती पर ऊर्जा लाने के लिए नैनो एनर्जी पैक पर शोध करने का सुझाव
दिया. कलाम अन्ना विश्वविद्यालय के 20वें राष्ट्रीय लेजर परिसंवाद में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, सूरज से धरती पर मनुष्यों की जरूरत से 100 अरब गुणा अधिक ऊर्जा उत्सर्जित होती है. यदि हम इसका एक हिस्सा भी हासिल कर सकें तो मानव की भविष्य की ऊर्जा जरूरत पूरी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि धरती पर स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र के मुकाबले अंतरिक्ष में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र कई मामलों में बेहतर होगा. कलाम ने कहा कि धरती पर सौर पैनल सिफे छह से आठ घंटे ही सूरज के प्रकाश में रह सकते हैं, जबकि अंतरिक्ष में सौर पैनल हमेशा सौर ऊर्जा हासिल कर सकते हैं. ये ऊर्जा सूक्ष्म तरंग या लेजर तकनीक से धरती पर भेजे जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष के इन सौर ऊर्जा केंद्रों से नैनो बैटरियों जैसे सूक्ष्म ऊर्जा पैकेटों के माध्यम से धरती पर ऊर्जा भेजी जा सकती है और ये सूक्ष्म पैकेट एेसे हो सकते हैं, कि एक-एकसूक्ष्म पैकेट से भारी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त हो.
धरती पर कैसे आएगी - सबसे बड़ा सवाल यह है कि अंतरिक्ष में सोलर प्लांट से बनी बिजली को हम धरती तक कैसे पहुंचाएंगे. इस सवाल का जवाब भी पूर्व राष्ट्रपति ने दिया. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में बने सोलर पावर प्लांट से धरती पर बिजली माइक्रोवेव या लेजर टेक्नॉलजी जैसी किसी तकनीक के जरिए
भेजी जा सकेगी.

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